देसी काली मूसली के चमत्कारी फायदे। Kali musli benefits in 180gm
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देसी काली मूसली के चमत्कारी फायदे। Kali musli benefits in 180gm

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काली मूसली की जड़ फाइबर युक्त मांसल (ठोस ) होती है। काली मूसली स्वाद में हल्का मीठापन और कड़वापन लिए हुए होती है व इसकी तासीर गर्म होती है इसलिए आयुर्वेदिक चिकित्सक की सलाह से ही इसको लेनी चाहिए।

आयुर्वेद के अनुसार काली मूसली (Black musli) चिपचिपाहट युक्त होती है जो वात-पित्त को कम करने वाली और कफ को बढ़ाने वाली होती है। काली मूसली वृष्य ( यौनशक्ति बढ़ाने वाली ), बृंहण (शरीर का बल बढ़ाने वाली ) तथा धातुवर्धक( शरीर के सभी तत्वों को पोषण देने वाली) होती है। इसके अलावा यह जलन, थकान व पाइल्स में भी अच्छा काम करती है। काली मूसली रक्त को दूषित करने वाले तत्वों को नष्ट करने वाली होती है अर्थात इससे रक्त साफ़ होता है।

इससे त्वचा सम्बन्धी रोग जैसे सफ़ेद दाग, लिवर सम्बन्धी रोग जैसे पीलिया और सांस संबंधी बीमारियां जैसे फेफडों में सूजन इन सभी में भी काली मूसली का प्रयोग कर सकते है। अग्निमांद्य यानि कमजोर पाचन शक्ति और उल्टी होने जैसी इच्छा में काली मूसली को देने से लाभ होता है। कमर दर्द तथा जोड़ों में दर्द से भी वात को कम करने के कारण काली मूसली एक बेहतर औषधि है।

अत्यधिक परिश्रम या थकान के कारण व्यक्ति को यदि कमजोरी महसूस होती है तो वह इसके लिए समान मात्रा में काली मूसली, गुडूची सत्त्, केंवाच बीज, गोक्षुर, सेमल, आँवला तथा शर्करा को घी और दूध के साथ मिलाकर पिएं

अन्यथा दूसरा तरीका – मूसली कंद 1 भाग, मखाना दो भाग तथा 3 भाग गोक्षुर के चूर्ण का क्षीरपाक कर मिश्री तथा टंकण मिलाकर तीन सप्ताह तक सुबह गुनगुना करके पीने से सेक्स की इच्छा बढ़ती है।

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पुरुषों के लिए काली मूसली के फायदे

पुरुषों के लिए काली मूसली कई तरह से फायदेमंद हो सकती है। यह स्पर्म काउंट बढ़ाने से लेकर स्पर्म की गुणवत्ता को बेहतर कर सकता है। आइए जानते हैं इसके लाभ क्या हैं?

शुक्राणुओं की संख्या और गुणवत्ता बढ़ाने में फायदेमंद काली मूसली

आधुनिक जीवनशैली और गलत खानपान का बुरा असर सीधे शुक्राणुओं की संख्या पर पड़ता है जिससे संतान को पैदा करने की क्षमता घटती है और इस समस्या को दूर करने में काली मूसली एक बेहतर उपाय है। काली मूसली का सेवन दूध के साथ करने पर अधिक लाभ होता है। 2-4 ग्राम काली मूसली जड़ के चूर्ण का दूध के साथ सेवन करने से शुक्रदोषों में वृद्धि होती है।

शीघ्रपतन रोकने में उपयोगी काली मूसली

शीघ्रपतन की समस्या आज की युवा पीढ़ी की आम समस्या बन गई है और काली मूसली इसको दूर करने में अच्छा उपाय है। शीघ्रपतन रोकने के लिए निम्न प्रकार से लिया जाए तो काली मूसली बहुत फायदेमंद होती है।

1 ग्राम मूसली चूर्ण में मिश्री मिलाकर खाने से शीघ्रपतन तथा वीर्य विकार आदि दोष मिटते हैं।

2-4 ग्राम काली मूसली के चूर्ण को गाय के घी में मिलाकर खिलाने से वीर्य की पुष्टि होती है।

काली मूसली तथा उटंगन के चूर्ण को मिलाकर 2-4 ग्राम मात्रा में सेवन करने से शरीर तथा वीर्य की पुष्टि होती है।

मूत्र संबंधी समस्या में काली मूसली के फायदे
मूत्र संबंधी बीमारी में अनेक प्रकार की समस्याएं आती हैं, जैसे- मूत्र करते समय दर्द या जलन होना, मूत्र कम मात्रा में आना या रूक-रूककर आना आदि। इस प्रकार की सभी समस्याओं में काली मूसली बहुत ही लाभकारी है क्योंकि इसमें डाइयूरेटिक गुण पाया जाता है ।

काली मूसली (Black musli) के 2-4 ग्राम चूर्ण में 5 ग्राम मिश्री मिलाकर तथा 3 बूँद चन्दन तेल डालकर दूध के साथ सुबह शाम पीने से मूत्र संबंधी रोगो में लाभ होता है।

किडनी के दर्द से दिलाये राहत काली मूसली
किडनी के दर्द से आराम पाने हेतु काली मूसली का सेवन इस प्रकार से करना चाहिए।
1-2 ग्राम काली मूसली (Black musli) चूर्ण में 5 मिली तुलसी पत्ते का रस मिलाकर खाने से किडनी में फायदा होता है।

दस्त में फायदेमंद काली मूसली
ज्यादा मसालेदार, तला हुआ खाना, पैकेज़्ड फूड या बाहर का खाना खा लेने से आपकी पाचन शक्ति कमजोर होती है तब आपको पेट सम्बन्धी समस्याएं जैसे अतिसार या दस्त हो सकता है। ऐसे में काली मूसली का उपयोग इस समस्या को रोकने के घरेलु उपाय के रूप में कर सकते हैं। 1-2 ग्राम काली मूसली की जड़ के चूर्ण को छाछ के साथ सेवन कराने से अतिसार में लाभ होता है।

खाँसी में लाभदायक काली मूसली

अगर आप खांसी की समस्या से परेशान हैं खांसी कम होने का नाम नहीं ले रही है तो काली मूसली से इसका इलाज किया जा सकता है। इसके लिए इङ्गुदी फल का छिलका, छोटी कटेरी, बड़ी कटेरी, तालमूली, मनशिला और कपास की गुठली के चूर्ण की बत्ती जैसा बनाकर घी में भिगोकर धूम्रपान करने से खाँसी में लाभ होता है।

मुँहासों व झाइयों में फायदेमंद काली मूसली

उम्र बढ़ने के साथ-साथ चेहरे पर झांईयां आना एक बड़ी समस्या है इस समस्या से आप काली मुसली के प्रयोग से घर पर ही निजात पा सकते है। काली मूसली की जड़ को बकरी के दूध में पीसकर, मधु मिलाकर चेहरे पर लेप करने से झांईयां मिटती हैं तथा मुखकान्ति की वृद्धि होती है। व मुहासों का होना इसमें काली मूसली एक अच्छा उपाय है। काली मूसली जड़ का पेस्ट बना लें और उसको मुँहासों पर लगायें। इससे जल्द आराम मिलेगा।

कान संबंधी रोगों में फायदेमंद काली मूसली

अगर आप कान संबंधी बीमारियों से परेशान हैं तो काली मूसली से इसका उपचार करें इसके लिए मूसली के रस या मूसली के काढ़े से तिल तेल को पकाकर छानकर 1-2 बूंद तेल को कान में डालें इससे कान संबंधी रोगों मे आराम मिलता है।

अस्थिभंग या हड्डियों को टूटने से रोकने में फायदेमंद काली मूसली

अगर किसी कारणवश हड्डियां कमजोर हो जाएं या यदि हड्डी टूट गयी है तो हड्डियों को मजबूती देने और टूटी हुई हड्डी को जल्दी जोड़ने में काली मूसली एक बेहतर उपाय है। काली मूसली के चूर्ण में अलसी का तेल मिलाकर टूटे स्थान पर लगाने से लाभ होता है।

कैसे उपयोग करें काली मूसली को

अगर आप किसी ख़ास बीमारी के इलाज के लिए काली मूसली का उपयोग करते हैं तो आयुर्वेदिक चिकित्सक की सलाह ज़रूर लें। चिकित्सक के सलाह के अनुसार-

2-4 ग्रामचूर्ण या
10-15 मिली काढ़े का सेवन कर सकते हैं।

. स्पर्म काउंट बढ़ाएं

काली मूसली का सेवन करने से पुरुषों में स्पर्म काउंट और गुणवत्ता को बेहतर किया जा सकता है। इसके सेवन दूध के साथ मिक्स करके कर सकते हैं। इसके लिए 1 गिलास गर्म दूध लें। इसमें 2 से 3 ग्राम काली मूसली की जड़ का पाउडर मिक्स करके पिएं। इससे स्पर्म काउंट को बढ़ाया जा सकता है।

2. शीघ्रपतन कैसे रोकें

पुरुषों में होने वाली शीघ्रपतन की परेशानी से बचाव के लिए काली मूसली का सेवन करने की सलाह दी जाती है। इसका सेवन आप कई तरह से कर सकते हैं। शीघ्रपतन या फिर स्पर्म स्पर्म से जुड़ी किसी भी तरह की परेशानी को दूर करने के लिए 1 ग्राम काली मूसली का चूर्ण लें। इसमें मिश्री मिक्स करके इसे गाय के घी के साथ सेवन करें। इससे काफी लाभ होगा

. किडनी की परेशानी करे दूर

किडनी से जुड़ी समस्याओं को दूर करने के लिए काली मूसली का सेवन करें। इसके लिए 1 से 2 ग्राम काली मूसली लें। इसमें 5 ग्राम तुलसी की पत्तियों का रस मिक्स करके पिएं। इससे किडनी को स्वस्थ रख सकते हैं।

4. पेट दर्द की परेशानी करे कम

काली मूसली पेट दर्द, कब्ज, दस्त जैसी समस्याओं को दूर करने के लिए उपयोग की जा सकती है। इसका उपयोग करने के लिए 1 से 2 ग्राम काली मूसली लें। इसमें दालचीनी का चूर्ण मिक्स करके लें। इससे आपका काफी लाभ मिलेगा।

5. जोड़ों में दर्द करे दूर

काली मूसली के सेवन से जोड़ों में दर्द की परेशानी को कम किया जा सकता है। अगर आपको जोड़ों में काफी ज्यादा दर्द हो रहा है तो दूध में मिक्स करके इसका सेवन करेँ। इससे आपको काफी लाभ मिलेगा।

पुरुषों के लिए काली मूसली काफी हेल्दी हो सकती है। हालांकि, ध्यान रखें कि अगर आपकी समस्या काफी ज्यादा बढ़ रही है तो इस स्थिति में डॉक्टर की सलाह जरूर लें। साथ ही बिना डॉक्टरी सलाह के काली मूसली का सेवन न करें।

मूत्र रोगों में फायदेमंद – अगर किसी को बार-बार पेशाब आने की समस्या हो, पेशाब करते समय दर्द हो, या फिर पेशाब करते समय जलन हो आदि मूत्र रोगों के लिए काली मूसली लाभकारी होती है। इसके सेवन के लिए काली मूसली का चूर्ण और समान मात्रा में मिश्री का सेवन गुनगुने पाने के साथ करना है। ऐसा करने से समस्या में आराम मिलेगा।

पुरुषों की शारीरिक कमजोरी दूर करे – आज के समस में तनाव और खराब जीवनशैली की वजह से लोगों को कई तरह की शारीरिक समस्याएं होने लगी हैं। जिसका असर उनकी सेक्स लाइफ पर भी देखने को मिलता है। ऐसे में लोगों को शरीरिक कमजोरी होने लगती है। लेकिन इन सभी परेशानी से छुटकारा पाने के लिए काली मूसली लाभकारी होती है। यह पुरुषों में शारीरिक कमजोरी को दूर करती है। काली मूसली के पाउडर का सेवन आप दूध में मिलाकर कर सकते हैं।

पेट के रोगों को दूर करे – जिन लोगों को पेट में गैस, अपच की समस्या हो तो उनके लिए काली मूसली लाभकारी होती है। इसके लिए काली मूसली के चूर्ण में दालचीनी पाउडर मिलाकर खाने से परेशानी में आराम मिलता है। पेट के कई रोग गलत खानपान की वजह से भी होते हैं। खाद्य पदार्थों में बढ़ते मैदा के प्रकोप से पेट संबंधी परेशानियां बेवजह बढ़ती हैं। गांधी जी हमेशा कहा करते थे कि नियंत्रित रूप से खाना खाया जाए तो पेट के रोगों से छुटकारा मिल सकता है। और दवाओं का सेवन नहीं करना पड़ेगा।

अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है। यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है। अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें। स्पोर्ट्सकीड़ा हिंदी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है।

संस्कृत – मूसली, तालमुखी, तालमूलका, महावृष्या, वृश्यकन्दा, हेमपुष्पी, भूतालि, दीर्घकन्दिका, कांचनपुष्पिका इत्यादि।

– मूसली, तालमुखी, तालमूलका, महावृष्या, वृश्यकन्दा, हेमपुष्पी, भूतालि, दीर्घकन्दिका, कांचनपुष्पिका इत्यादि।

हिंदी – काली मूसली, मूसली, सफेद मूसली।
बंगाल – तालमुखी।
मराठी – काली मूसली, पांढरी मूसली।
गुजराती – काली मूसली – धोली मूसली
फारसी – मूसली
उर्दू – मूसली
तेलुगू – नीलयतली, गुडलू, नेलतारू
लेटिन – Curculigo Orchioides
पहचान
इस वनस्पति का पौधा 9 इंच से लेकर 1 फुट तक लंबा होता है। इसके पत्ते कोली कंन्दे के पत्ते की तरह होते हैं। पौधे के नीचे जमीन में इसकी जड़े रहती हैं। यही जड़े मूसली के नाम से बाजार में बिकती हैं। इसकी सफेद और काली 2 जातियां होती हैं। आयुर्वेद में जिस मूसली का वर्णन दिया गया है वह मूसली यही है। इसके फूल पीले रंग के होते हैं और फल में 1 से लेकर 4 तक बीज होते हैं यह वनस्पति प्राय सारे भारतवर्ष में पैदा होती है।

गुण, दोष और प्रभाव

उपयोग

➢ इसकी कडों के बारीक चूर्ण को जख्म पर भुरभुराने से जख्म में बहने वाला खून बंद होता है और जख्म जल्दी सूख जाता है।

➢ मूत्रकच्छ – मूसली के एक तोले(10gm) चूर्ण में एक तोला मिश्री मिलाकर उसमें चंदन के तेल की तीन बूंद डालकर कच्चे दूध के साथ दिन में 2 बार लेने से मूत्रकच्छ मिटता है।

➢ कान के रोग – मूसली के स्वरस या उसके कवाथ में चौथाई तेल को शुद्ध करके उसके तेल को कान में डालने से कान रोग मिटते हैं।

➢ तिजारी – काली मूसली के चूर्ण को कांजी के साथ लेने से तिजारी छूटती हैं।

➢ शीघ्रपतन – स्त्री का समरण करते ही जिन लोगों का वीर्यपात हो जाता है उनको काली मूसली का चूर्ण बंग्गभस्म के साथ देने से लाभ होता है।

➢ दमा – काली मूसली की जड़ की छाल को छाया में सुखाकर पान में रखकर खाने से दमे में लाभ होता है।

➢ गुर्दे का शूल – काली मूसली के चूर्ण को तुलसी के साथ लेने से गुर्दे का शूल मिटता है।

➢ उदर शूल – दालचीनी और काली मूसली का सामान भाग चूर्ण बनाकर उसकी फंकी लेने से पेट का दर्द मिटता है।

➢ मुत्रातिसार – जायफल के चूर्ण के साथ काली मूसली के चूर्ण की फंकी लेने से मूत्रातिसार मिटता है।

➢ पागल कुत्ते का विष – काली मूसली को पीपर के साथ लेने से और पीपर के साथ इस को पीसकर पागल कुत्ते की कटी हुई जगह पर लगाने से पागल कुत्ते के विष में लाभ होता है।

आयुर्वेदिक मत से मूसली मधुर, वीर्यवर्धक, भारी, कड़वी, कामोद्दीपक, कफनाशक, रसायन, पेट के आफरे को दूर करने वाली और ज्वर(बुखार) निवारक होती है। बवासीर वात की शिकायतें, पित्त, थकान और रक्त रोगों में यह लाभदायक होती है आयुर्वेद के कुछ ज्ञानियों ने इसे शीत वीर्य और कुछ ज्ञानियों ने इसे उष्ण वीर्य मतलब गरम माना है।
मूसली को कमजोरी और विशेषकर स्त्री सहवास संबंधी कमजोरी को दूर करने के लिए इसका चूर्ण 10 ग्राम की मात्रा में 10 ग्राम मिश्री के साथ मिलाकर गर्म दूध के साथ दिया जाता है।
आयुर्वेद के अंदर जितनी वीर्य वर्धक और कामोद्दीपक औषधियां बतलाई गई है। उनमें मूसली एक प्रधान औषधि है। मनुष्य की काम शक्ति को अक्षुण्ण रखने और उसके यौवन को स्थाई रखने के लिए जितने बाजीकरण पाक और चूर्ण बनते हैं। उन सब में प्राय मूसली पडती हैं । यह एक दिव्य रसायन वस्तु है।

शारीरिक कमजोरी को दूर करने के लिए आयुर्वेद में मूसली का इस्तेमाल काफी ज्यादा किया जाता है। इसके अलावा यह यौन शक्ति के लिए भी काफी ज्यादा बेहतर मानी जाती है। अधिकतर लोग सफेद मूसली के बारे में ही जानते हैं, लेकिन क्या आप जानते हैं कि सफेद मूसली की तरह काली मूसली भी होती है जो यौन शक्ति और शारीरिक कमजोरी को दूर करने में प्रभावी होता है। यह मूसली यूरिन संबंधी परेशानियों और मांसपेशियों में होने वाली दुर्बलता को दूर कर सकता है। आज हम इस लेख में पुरुषों के लिए काली मूसली के फायदों के बारे में बताएंगे।

काली मूसली क्या है?
आयुर्वेदिक गुणों से भरपूर काली मूसली स्वाद में हल्का मीठा और कड़वा होता है। इसकी तासीर गर्म होती है। इसलिए इसका सेवन हमेशा चिकित्सक की सलाह पर ही करें। इसके पत्ते देखने में ताड़ की तरह होते हैं। वहीं, इसकी जड़ें मोटी और काली होती हैं। आयुर्वेद में इसका इस्तेमाल वात दोष, जोड़ों में सूजन और शारीरिक कमजोरी को दूर करने के लिए किया जाता है

Weight 0.18 kg
Dimensions 6 × 5 × 5 cm

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