सालम पंजा क्या है : Salam panja kya hota hai
सालम पंजा को गढ़वाली, हित्तजड़ी, हिंदी आदि नामों से जाना जाता है। यह कुल ऑर्किडेसी प्रजाति का सदस्य है। सालम पंजा का वानस्पतिक नाम डेक्टाराइजा हाटागारिया (Dactylorhiza hatagirea) है। यह पौधा अत्यधिक हिमपात के बाद भी खड़ा रहता है। यह पौधा जम्मू कश्मीर से लेकर नेपाल तक पाया जाता है Salam panja plant की ऊंचाई 20 से 30 सेंटीमीटर तक होती है।
पुरुषों के लिए सालम पंजा के फायदे
आजकल की जीवन शैली में बदलाव व उचित खानपान नहीं होने के कारण पुरुषों में यौन संबंधी समस्या जैसे शीघ्रपतन, धातु रोग, यौन इच्छा में कमी, नपुंसकता, स्वप्नदोष आदि समस्याएं एक आम समस्या बनती जा रही है। इसलिए सेक्स संबंधी समस्याओं से छुटकारा पाने के लिए सालम पंजा बहुत ही कारगर जड़ी बूटी है।
इसके लिए 100 ग्राम सालम पंजा लेकर पीसकर महीन चूर्ण बना लें तथा इसमें 100 ग्राम सफेद मूसली और 100 ग्राम काली मूसली का चूर्ण मिलाकर किसी कांच के पात्र में रख लें। इस औषधि को आधा चम्मच की मात्रा में सुबह शाम मिश्री मिले हुए मीठे गुनगुने दूध के साथ सेवन करने से पुरुषों में होने वाली तमाम तरह की समस्याओं से छुटकारा मिलता है और यौन शक्ति में वृद्धि होती है।
इस पौधे में एक कन्द होता है। मातृकंद सिकुड़ा हुआ पंजे के आकार का व पीले रंग का होता है। इस पौधे की पत्तियां (Salam panja leaves) लंबी शंकरी व समांतर किनारों वाली होती है जून से दिसंबर माह में इस पौधें पर हल्के जामुनी रंग के फूल आते हैं तथा इसका फल हल्के गुलाबी रंग का होता है।
सालमपंजा’ एक बहुत ही गुणकारी, बलवीर्यवर्द्धक, पौष्टिक और यौन शक्ति को बढ़ाकर नपुंसकता नष्ट करने वाली वनौषधि है। यह बल बढ़ाने वाला, शीतवीर्य, भारी, स्निग्ध, तृप्तिदायक और मांस की वृद्धि करने वाला होता है। यह वात-पित्त का शमन करने वाला, रस में मधुर और अत्यधिक बलवीर्यवर्द्धक होता है
भारत में इसकी आवक ज्यादातर ईरान और अफगानिस्तान से होती है। सालमपंजा का उपयोग शारीरिक, बलवीर्य की वृद्धि के लिए, वाजीकारक नुस्खों में दीर्घकाल से होता आ रहा है।
समुद्र यात्रा : समुद्र में प्रायः यात्रा करते रहने वाले पश्चिमी देशों के लोग प्रतिदिन 2 चम्मच चूर्ण एक गिलास पानी में उबालकर शकर मिलाकर पीते हैं। इससे शरीर में स्फूर्ति और शक्ति बनी रहती है तथा क्षुधा की पूर्ति होती है।
यौन दौर्बल्य : सालमपंजा 100 ग्राम, बादाम की मिंगी 200 ग्राम, दोनों को खूब बारीक पीसकर मिला लें। इसका 10 ग्राम चूर्ण प्रतिदिन कुनकुने मीठे दूध के साथ प्रातः खाली पेट और रात को सोने से पहले सेवन करने से शरीर की कमजोरी और दुबलापन दूर होता है, यौनशक्ति में खूब वृद्धि होती है और धातु पुष्ट एवं गाढ़ी होती है। यह प्रयोग महिलाओं के लिए भी पुरुषों के समान ही लाभदायक, पौष्टिक और शक्तिप्रद है। अतः महिलाओं के लिए भी सेवन योग्य है।
शुक्रमेह : सालम पंजा, सफेद मूसली एवं काली मूसली तीनों 100-100 ग्राम लेकर कूट-पीसकर खूब बारीक चूर्ण करके मिला लें और शीशी में भर लें। प्रतिदिन आधा-आधा चम्मच सुबह और रात को सोने से पहले कुनकुने मीठे दूध के साथ सेवन करने से शुक्रमेह, स्वप्नदोष, शीघ्रपतन, कामोत्तजना की कमी आदि दूर होकर यौनशक्ति की वृद्धि होती है।
जीर्ण अतिसार : सालमपंजा का खूब महीन चूर्ण 1-1 चम्मच सुबह, दोपहर और शाम को छाछ के साथ सेवन करने से पुराना अतिसार रोग ठीक होता है। एक माह तक भोजन में सिर्फ दही-चावल का ही सेवन करना चाहिए। इस प्रयोग को लाभ होने तक जारी रखने से आमवात, पुरानी पेचिश और संग्रहणी रोग में भी लाभ होता है।
प्रदर रोग : सलमपंजा, शतावरी, सफेद मूसली और असगन्ध सबका 50-50 ग्राम चूर्ण लेकर मिला लें। इस चूर्ण को एक-एक चम्मच सुबह व रात को कुनकुने मीठे दूध के साथ सेवन करने से पुराना श्वेतप्रदर और इसके कारण होने वाला कमर दर्द दूर होकर शरीर पुष्ट और निरोगी होता है।
वात प्रकोप : सालमपंजा और पीपल (पिप्पली) दोनों का महीन चूर्ण मिलाकर आधा-आधा चम्मच चूर्ण सुबह-शाम बकरी के कुनकुने मीठे दूध के साथ सेवन करने से कफ व श्वास का प्रकोप शांत होता है। साँस फूलना, शरीर की कमजोरी, हाथ-पैर का दर्द, गैस और वात प्रकोप आदि ठीक होते हैं।
विदार्यादि चूर्ण : विन्दारीकन्द, सालमपंजा, असगन्ध, सफेद मूसली, बड़ा गोखरू, अकरकरा सब 50-50 ग्राम खूब महीन चूर्ण करके मिला लें और शीशी में भर लें।
इस चूर्ण को 1-1 चम्मच सुबह व रात को कुनकुने मीठे दूध के साथ सेवन करने से यौन शक्ति और स्तंभनशक्ति बढ़ती है। यह योग बना-बनाया इसी नाम से बाजार में मिलता है।
रतिवल्लभ चूर्ण : सालमपंजा, बहमन सफेद, बहमन लाल, सफेद मूसली, काली मूसली, बड़ा गोखरू सब 50-50 ग्राम। छोटी इलायची के दाने, गिलोय सत्व, दालचीनी और गावजवां के फूल-सब 25-25 ग्राम। मिश्री 125 ग्राम। सबको अलग-अलग खूब कूट-पीसकर महीन चूर्ण करके मिला लें और शीशी में भर लें।
इस चूर्ण को 1-1 चम्मच सुबह व रात को कुनकुने मीठे दूध के साथ दो माह तक सेवन करने से यौन दौर्बल्य और यौनांग की शिथिलता एवं नपुंसकता दूर होती है। शरीर पुष्ट और बलवान बनता है।
सालम पंजा के फायदे, नुकसान और इसका इस्तेमाल कैसे करें : Salam panja benefits in hindi
आज के इस लेख में जानेंगे सालम पंजा क्या होता है तथा Salam panja ke fayde और नुकसान तथा पुरुषों को क्यों सालम पंजा का सेवन जरूर करना चाहिए। Salam panja एक बहुत ही गुणकारी वनौषधि है इसका सेवन शारीरिक शक्ति व यौन शक्ति बढ़ाने किया जाता है। सालम पंजा शरीर को तुरंत ऊर्जा देने का काम करता है क्योंकि यह अत्यंत पौष्टिक होता है। जानते है Salam panja benefits सालम पंजा के फायदे, औषधीय गुण और सेवन कैसे करें।
सालम पंजा एक पहाड़ी इलाकों में पाई जाने वाली सेहत के लिए बहुत ही फायदेमंद जड़ी बूटी है। सालम पंजा बहुत से पोषक तत्वों और औषधीय गुणों से भरपूर होता है कई प्रकार की स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं का उपचार करने के लिए सालम पंजा का उपयोग (Salam panja uses) किया जाता है इसे सालम मिश्री (Salam mishri) के नाम से भी जाना जाता है। यह मर्दाना ताकत बढ़ाने की बहुत ही कारगर जड़ी बूटी है।
सालम पंजा को Aj Ayurveda की website से आसानी से खरीद के प्रयोग किया जा सकता है। यह एक शक्तिशाली औषधि है इसका उपयोग वीर्य और शक्तिवर्धक, इम्यूनिटी व पाचन सिस्टम को मजबूती प्रदान करने वाली एक बहुत ही पौष्टिक औषधि के रूप में होता है। आयुर्वेद की अनेक औषधियों व यूनानी चिकित्सा पद्धति में बहुत सी दवाओं में सालम पंजा का इस्तेमाल किया जाता है।
।Dactylorhiza hatagirea is from aj ayurveda a species of orchid generally found growing in the Himalayas, from Pakistan to SE Tibet, at altitudes of 2,800-4,000 metres (9,200-13, 100 ft). It is locally called ‘salam panja’ or ‘hatta haddi’. It is called ‘panchaule’ in Nepali and Himalayan regions. aj ayurveda
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